डू ठो मुक्टक

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सागर कुस्मी
कैलाली

१ मुक्टक

मै हर दिन एकनास नैरहम ।

रहम मने केक्रो खास नैरहम ।

जब चलजैम टे उप्पर उ दिन,

जरुर मै सबके पास नैरहम ।

२ मुक्टक

समय एहोंर ओहोंर पुगा डेहठ् ।

प्रकृति हेरके जिउ बुझा डेहठ् ।

जब तरंग मचठ इ दिल भित्तर,

टब सुटल मनैंन् फेन उठा डेहठ् ।

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