थारू भाषी मुक्तक



दिपक चौधरी "असीम"

 टरप् टरप्के हँस्टि वह्कार याडमे जिलेठुँ

सहे नैसेक्ठुँ प्यारके पिरा टे ठोरचे पिलेठुँ

डेखक् लग भेटक् लग मन टरपठ् यहाँ
जिउ बुझाइक् लग वह्कार फोटु छुलेठुँ

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