अाखिर टुँ का पैलाे?

 


कविता काव्य

आखिर टुँ का पैलो

कापी कलम पकर्ना अनारी  हाँठ्ले बन्दुक सङ्गे खेल्लो

घर परिवारसे डुर होके हजार दुख झेल्लो

लावा बिहान देख्ना सपना सजैति प्रानके बाजि लगाके

बैरी दुस्मनसे नुक्रीक साँढा खेल्टी अङ्ग भङ्ग हुइलो

आखिर टुँ का पैलो

का टु लावा बिहान देख्लो?का उहे पुरान क्रुर शासन ब्यवस्था भत्कल?

का टु राज्यसे पाइक पर्ना अधिकार पैलो

नाइ टु कुछु नै पैलो 

मै देखटु

टोहार दर्दनाक अवस्था

टोहार बुर्हाइल दाइ बाबनके बेहाल

तोहार लर्का पर्कनके हाल 

टु निरीह होके हेरटो

आखिर टुँ का पैलो?

पैलो टे केवल अपन कैह्जिना साशक हुकन्के मुहसे अयोग्य के संज्ञा 

पर्हाइ छोरेबेर,घर परिवार छोरेबेर, बन्दुक बोकेबेर, युद्धभुमीमे लरेबेर सम टु योग्य रहो

अपन शरीरसे फेन भारी बम बारुद के भरुवा बोकेबेर तु योग्य रहो

जब टु एक गोरा गुमैलो ,एक हाठ गुमैलो ,एक आँखी गुमाके कान हुइलो

अपने कह्जिना भद्र भलाद्मी हुकनके नजरमे अयोग्य होगिलो

आखिर टुँ का पैलो

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