थारू भाषी मुक्तक


सन्देश दहित

 

फुलक हंग्या टुटाख प्रेम डिवस ना मनाइ संघारी

हजारौ रुप्या लुटाख प्रेम डिवस ना मनाइ संघारी

अपन सुन्डर भबिस्य बनाइक लाग साँच्ख ढारी 
पैसक भोक्टि फुटाख प्रेम डिवस ना मनाइ संघारी

Comments

  1. धन्यवाद कैलारी पोस्त बगाल ओ मोति रत्न सर जि

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