दिपक चौधरी "असीम"
महिन का पटा रहे प्यार हँसैना सँगे रुवाइट फेँ
भुखपियास हेर्वैना सँगे राटभर भर जगाइट फेँ
यि प्यारके नियमफेँ बरा अजिबके बा डुनियाँमे
किहुँ मिलाइट किहुँ जिबनभर याड सटाइट फेँ
मिठ जहर बन्के घुल्जाइठ् यि प्यार जब डेंहमे
मजा डेहठ् अटिट बन्के भिट्रे२ जिउ जराइट फेँ
डिवानापनमे प्यारके डिवाना बनाइट जिन्गिमे
पिरा सह्के डुनियाँमे हँसके जीए सिखाइट फेँ
मिलल् टे जिन्डगि नै मिलल् टे जीना सहारा
बन्के यि प्यार डिलमे घर बनाके बैठजाइट फेँ
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