थारू भासी: मुक्टक


🖋️निर्मल चौधरी 'असफल यात्री'


कर्णाली लडियक पानीहस लगातार टोहार मायाँमे बहेहस लागठ।
खै मनै क पो सोंच्ठै महिन टो टोहार लग सप कुछ सहेहस लागठ।
ठेस एक जहन लागठ टो दोसर जहन फेन चोट लागथ कथैं यहाँ।
टभे मारे हुई कोई टुहिन हे छुएक खोजठ टो महिन डहेहस लागठ।

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